नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में
मड़ई मेलों के दौर की शुरुआत
छपारा :-
दीपावली के पावन पर्व के दूसरे दिन यादव यदुवंशी अहीर समाज द्वारा एकम के दिन से गोवर्धन पूजा के पश्चात ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग हर गांव में मडई मेले का आयोजन बड़े धूमधाम से शुरू हो जाता है, इसी क्रम में छपारा नगर में भी कई वर्षों पूर्व से सबसे प्राचीन एवं ताजी मडई के नाम से प्रसिद्ध भाई दूज के दिन नगर के तकिया वार्ड क्षेत्र जो की वर्तमान में शहीद वार्ड इलाके में मड़ई मेला लगता है जो बहुत ही ऐतिहासिक रहता है,लोगो के मनोरंजन के लिए यहां पर सभी प्रकार के दुकानदार अपनी दुकान लगाते हैं जिसमे बच्चों के खेल खिलौना,झूलो से लेकर महिलाओं की खरीदारी के लिये दुकान सजाई जाती हैं,साथ ही लोगो के मनोरंजन से भरपूर एक उत्सव का माहौल रहता हैं। विभिन्न प्रकार की मिठाईयां,पीडी सिंगाड़ा,
गन्ना जैसे अन्य छोटे दुकानदारो का भी इस अवसर पर वव्यसाय हो जाता है। उक्त मेले में नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामवासी भी भारी संख्या में शामिल होकर अहीरी नृत्य एवं आकर्षक झांकियों का आनंद लेने आते हैं। वार्ड के बुजुर्गों के बताये अनुसार बरसों पहले मड़ई मेला लगने की परंपरा कुछ इस प्रकार भी बताते हैं कि उक्त मेले के माध्यम से विवाह योग वर वधू का रिश्ता भी तय होता था और ऐसे आयोजनों में लड़का लड़की के संबंध भी तय होते थे संबंध के बाद नव दंपत्ति इस मड़ई मेला में घूमने आते हैं सभी घरों में रिश्तेदार नातेदारो का आना जाना लगा रहता है सभी परिजन इस दिन बड़े उत्साह धूमधाम से इसे एक त्यौहार के रूप में मनाते थे और अपने अपने घरों के सामने रंगोली से सजावट की जाती है तथा पटाखे फोड़े जाते थे।
बहारहाल हमारा देश किसी न किसी रूप में उत्सव मनाने का देश है इस तरह के मड़ई,मेलों का आयोजन लगभग देश के सभी राज्यो में किसी न किसी रूप में होता ही है,जिसमे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के हर राज्य की अपनी संस्कृति,बोली,भाषा हैं किन्तु मड़ई मेलो का उत्सव सभी मानते हैं।